समय
समय…
अनंत , असीम, निरंतर हूँ
अतूलनिय, अजेय हूँ
मै समय हूँ…..
सदियाँ बन जाती है मुझ से
लम्हें गुजर जाते है मुझ में
दिन और रात होते है मुझ से
हर कोई ख्वाब बनता है मुझ में
मै हि तुम्हारा साथी हूँ
मै समय हूँ….
आज और कल है मेरी परछाईयाँ
मुझ से बढकर कोई भी नहीं
न कोई मुझे वश कर सकता है
न कोई चुनौती दे सकता है
हर अंत और आरंभ मै ही हूँ
मै समय हूँ..
हर पल पर रहती है मेरी हुकूमतं
हर पल पर रहता है मेरा ही राज
हर चीज है मेरी ही भाग्यवश
हर जीव का मै विधाता हूँ
मै समय हूँ…..
सृष्टी का मै नियंता हूँ
हर जीव को मंजिल की तरफ
मै हि खिंच लाता हूँ
मै समय हूँ….
कुछ कहने और करने से पहले
मेरा ध्यान अवश्य रहे
हर इक लफ्ज संतुलित रहे
हर इक कर्म विधायक रहे
जीव और शिव का साथ हमेशा रहे
जीवन अनमोल मै हि बनाता हूँ
मै समय हूँ……..
कविता .. लेखन दिनांक १२/०८/२०१७
संजीव चांदोरकर. ©
With love to all who love poetry and songs
which show us a right path and a way to live .