समय के धागे
कभी धूप कभी छाँव रात अँधियारी है,
समय के धागों से बँधी जिंदगी हमारी है।
समय जो खींचेगा डोर खिंचे चले आओगे,
जाने कहाँ जाओगे, पता भी न पाओगे
आज मेरी बारी ,कल बारी तुम्हारी है।
समय के धागों से बँधी ज़िन्दगी हमारी है।।
समय ने हँसाया कभी समय ने रुलाया है।
समय के कुठार से ना कोई बच पाया है।।
समय ने बनाई राख, कभी चिनगारी है।
समय के धागों से बंधी ,ज़िन्दगी हमारी है।।