Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Dec 2022 · 1 min read

*समय कभी अनुकूल है, समय कभी प्रतिकूल (कुछ दोहे)*

समय कभी अनुकूल है, समय कभी प्रतिकूल (कुछ दोहे)
_______________________
1
सबके स्वस्थ विचार हों, सबकी सुन्दर देह
सब मन की भाषा पढ़ें, बसे सभी में नेह
2
मन के गुण बतला रही, दूत लिखावट चाल
टाइप कब समझा सका, मन का कैसा हाल
3
समय कभी अनुकूल है, समय कभी प्रतिकूल
काँटें हैं जिस पेड़ पर, उसी पेड़ पर फूल
4
दो दिन का था यह सफर, दो दिन का यह वेश
दो दिन के मेह‌मान सब, फिर सब अपने देश
5
नजरें पर्दे पर टिकीं, मोबाइल में जान
क्या होगा इस दौर में, आँखों का भगवान
_____________________________
टाइप = मोबाइल पर संदेश को टाइप करना
————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मोबाइल.9997615451

Language: Hindi
201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
*कागभुशुंडी जी नीले पर्वत पर कथा सुनाते (गीत)*
*कागभुशुंडी जी नीले पर्वत पर कथा सुनाते (गीत)*
Ravi Prakash
3279.*पूर्णिका*
3279.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विश्व तुम्हारे हाथों में,
विश्व तुम्हारे हाथों में,
कुंवर बहादुर सिंह
वतन के तराने
वतन के तराने
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
प्यार क्या है
प्यार क्या है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
कवि रमेशराज
हौसला
हौसला
डॉ. शिव लहरी
अलबेला अब्र
अलबेला अब्र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
हर कस्बे हर मोड़ पर,
हर कस्बे हर मोड़ पर,
sushil sarna
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
Rashmi Sanjay
मचले छूने को आकाश
मचले छूने को आकाश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आराम का हराम होना जरूरी है
आराम का हराम होना जरूरी है
हरवंश हृदय
रक्षा -बंधन
रक्षा -बंधन
Swami Ganganiya
*चुनाव से पहले नेता जी बातों में तार गए*
*चुनाव से पहले नेता जी बातों में तार गए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तुम्ही हो किरण मेरी सुबह की
तुम्ही हो किरण मेरी सुबह की
gurudeenverma198
अपनी बुरी आदतों पर विजय पाने की खुशी किसी युद्ध में विजय पान
अपनी बुरी आदतों पर विजय पाने की खुशी किसी युद्ध में विजय पान
Paras Nath Jha
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
प्रेमदास वसु सुरेखा
दिल की दहलीज पर कदमों के निशा आज भी है
दिल की दहलीज पर कदमों के निशा आज भी है
कवि दीपक बवेजा
अपनी हिंदी
अपनी हिंदी
Dr.Priya Soni Khare
प्रेम
प्रेम
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
"तुम्हारी चाहतों ने ख़्वाब छीने, नींद तक छीनीं,
*Author प्रणय प्रभात*
आओ हम मुहब्बत कर लें
आओ हम मुहब्बत कर लें
Shekhar Chandra Mitra
*
*"हरियाली तीज"*
Shashi kala vyas
शिर्डी के साईं बाबा
शिर्डी के साईं बाबा
Sidhartha Mishra
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी "अश्क " बहाए होगे..?
Sandeep Mishra
माया और ब़ंम्ह
माया और ब़ंम्ह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
Anil Mishra Prahari
सम्राट कृष्णदेव राय
सम्राट कृष्णदेव राय
Ajay Shekhavat
जीवन का किसी रूप में
जीवन का किसी रूप में
Dr fauzia Naseem shad
Loading...