समय आ गया अब हम कुछ कर चलें
समय आ गया अब हम कुछ कर चलें,
टूट जायें शत्रु पर और आगे बढ़ते चलें।
वार्ता करनी नहीं है उनसे अब,
जिसने मानवता का कत्ल कर दिया जब।
समय आ गया अब राष्ट्रहित को ही चुनें,
समय आ गया अब संबंधों की परिभाषा नई बने।
नहीं करने ही उनसे दोस्ती जिसने आतंकवाद का साथ दिया,
नहीं करने ही उनसे कोई बात जिसने छुपछुप कर वार किया।
अब चलेगी सिर्फ गोलियों उनके सीने पर,
देश का मान बढ़ाना है हमें हर कीमत पर।
समय आ गया है अब दोस्त- दुश्मन में फर्क हम पहचान लें,
दुश्मनों का नाश कर आगे हम बढ़ चलें।
……………….. मनहरण