सबसे बड़ा सवाल यहाँ ज़िन्दगी का है
सबसे बड़ा सवाल यहाँ ज़िन्दगी का है
दिल के सुकून और सभी की ख़ुशी का है
ख़ामोश है उदास है बैठा हुआ है बस
क्या राज़ उसकी आँख की सारी नमी का है
करता कोई भी और तो हरगिज़ न था गिला
अफ़सोस सिर्फ़ यार की कारीगरी का है
जीता जो एक बार वही हार फिर गया
दोनों के बीच खेल तो रस्साकशी का है
करने के बाद क़त्ल वो मौजूद था वहीं
क़ातिल ने केस सबको कहा ख़ुदकुशी का है
सौ साल बाद उसने जलाया है इक दिया
बेहोश जिस्म झट से हुआ तीरगी का है
माहौल क्यों ख़राब हुआ गाँव का अभी
इसमें कमाल गाँव के परधानजी का है
सरहद पे लड़ रहा है कोई ग़ैर तो नहीं
वो भी किसी का लाल है भाई किसी का है
जीता है सादगी से मदद सबकी जो करे
‘आनन्द’ जिस्मोजान से केवल उसी का है
डॉ आनन्द किशोर