– सबकुछ हो पर कभी इश्क न हो –
– सबकुछ हो पर कभी इश्क न हो –
सबकुछ करो पर कभी इश्क न करो,
इश्क में इंसान अपने होश खो देता है,
न दिन में चैन से रहता है न रात में सोता है,
खोया खोया सा रहता है होता है अजब सा हाल,
इश्क में महबूब को महबूबा में महबूबा को महबूब में दिखता है भगवान,
इश्क में एक दूसरे को पाने की होती है अजीब सी चाह,
वर्तमान में आधुनिकता में चढ़ा पाश्चात्त्य का रंग,
आजकल का इश्क इश्क नही होता है,
होता है जिस्म के मिलन की प्यास,
इश्क वो जो आशिकी में हद से गुजर जाए,
एक दूसरे के मर जाए मिट जाए,
इश्क में महबूब की खुशी को ही अपनी मान ले वो होता है इश्क,
महबूब की खुशी के लिए उसको जो छोड़ जाए वो होता है इश्क,
इश्क एक हसीन सी खता है,
जिसे एक उम्र में हर कोई करता है ,
कहता है भरत सुन लो मेरी बात,
गहलोत सबकुछ कर लेना पर इश्क कभी न करना,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184-