सबकुछ है
सबकुछ है
सबकुछ है प्रिय हृदय बड़ा है।।
सबसे ऊपर भाव खड़ा है।
भावों से कविता बहती है।
हरदम प्यार किया करती है।।
प्यारे उर में ज्ञान सरोवर।
सदा ज्ञान में प्रीति मनोहर।।
मोहक प्रीति सदा मन भाती।
दिल में कविता भाव जगाती।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।