“ सफर में साथ “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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मैं कभी भी अकेला नहीं ,
किसी सफर पर चला हूँ !
साथ मेरा गर छूट गया ,
फिर और कहीं मिला हूँ !!
क्या बड़ा ,क्या छोटा है ,
सबों के साथ चलना है !
सफर में सब मुसाफिर ,
मुझे एक साथ रहना है !!
हाथ बच्चों का पकड़ ,
उस पार मैं ले जाऊँगा !
बुजुर्गों को प्यार से ही ,
उनकी राह दिखलाऊँगा !!
अकेले नहीं कोई रहा है ,
कोई ना काम हो सकता !
सफर में साथ हो कोई ,
तभी अंजाम हो सकता !!
कभी जीवन में किसीको ,
तुच्छ कभी नहीं कहना !
सबको आदर और प्रेम ,
से सत्कार तुम करना !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
10. 02. 2022.