सन्नाटा रात ।
रात सन्नाटों से घिरा है लेकिन
तुमको ख़बर तो होगी भी नही
तुम सो कर ख़्वाब देखने वाले
तन्हाई से बच जाते हो ..
इक चांद अकेला होता है
एक हम अकेले होते है
और कमरे में ये रात हमारी
तन्हाई को सुनती है ।
तुम सोने वालों क्या जानो
ये चांद कैसा दिखता है
हम खिड़की से तकते है
वो खड़ा अकेला सोता है ।
– हसीब अनवर