सदियाँ कई चुकीं गुज़र
सदियाँ कई चुकीं गुज़र
थे दहर* में कई शहर
उत्थान थे ज़वाल** भी
देखे खुदा कई क़हर
इतिहास का है सच यही
सुकरात को दिया ज़हर
फिर इंक़लाबी शोर है
फिर सीने में उठी लहर
जलता रहा ब्रह्माण्ड में
था ख़ाक में ही तो दहर
–––––––––––––––
*दहर — काल, समय, दुनिया, जगत, काल, समय, वक्त, युग, क़र्न
**ज़वाल — पतन, अवनति, उतार, ह्रास