सत्य मानव
सत्य मानव
रहेगा अकेले सहज सत्य मानव।
नहीं स्नेह काबिल कभी दुष्ट दानव।
रहेगा सुहाना सदा ये अकेला।
इसे चाहिए अब न असहज़ नकेला।
जहां संत उर हो वहीं वात सावन।
वहीं पर रहेगी धरा नित्य पावन।
सदा साधु संगति हमे चाहिए अब।
नहीं नीच संगति कभी चाहिए अब।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।