सत्य कब टिका नहीं,झूठ कब मिटा नहीं
सत्य कब टिका नहीं,झूठ कब मिटा नहीं,
रूप रॅग है क्षणिक, आप मान जाइए।।
हो न कोई बात सत्य,है लुभाता ऐसा तथ्य,
बात कोई जांच कर, आप भी बताइए।।
पीर से अधीर तुम,हो रहे क्यों वीर तुम,
शब्द वाण हाथ में आप अब उठाइए।।
झूठ का प्रपंच कर, कर रहे वो भ्रमित,
बात कोई तथ्यपूर्ण,आप भी सुनाइए।