“ सत्यम ,शिवम ,सुंदरम “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
==============
कान मेरे दुखने लगे
किसी ने कहा तुम
ऐसे लिखो ,
किसी ने जोर दिया
कहानियों में नायक
नायिका का प्रेमालाप
लिखो !!
अपनी लेखनी
में शृंगारों का
लेप करो ,
रस अलंकार और
शब्दों से तिलक करो !!
और विषयों को लोग
दरकिनार
समय के साथ
कर देते हैं !
पर प्रेम के खिस्से
युग युग में
अपना रूप
बदलते रहते हैं !!
राजनीति समालोचना
विवादों के घेरे में
ही घूमती रहती है !
इसकी ज्वाला की
लपेटों में
सारी दुनियाँ
जल जाती है !!
हम तो हैं बस
सीधे- साधे
सहजता में बातों
को कहते हैं !
शिष्टाचार सरल
भाषा में
लोगों को
समझाते हैं !!
कभी कविता ,
कभी लेखों में
सरस बातें मैं
करता हूँ !!
सत्यम शिवम
सुंदरम के मंत्रों
को जीवन भर
मैं जपता हूँ !!
=========
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
11.03.2021.