Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2024 · 1 min read

सजल

सजल

तुझे देख मन खुश हो जाता।
तेरा दर्शन सदा लुभाता।

तुम्हीं एक प्रिय मोहक निर्मल।
सच्चाई की राह बताता।

जब तुम मिलते नहीं कभी तो।
दिल में हरदम कष्ट सताता।

मन विक्षिप्त हुआ करता तब।
तन उदास हो उर पगलाता।

तेरा ही है एक सहारा।
तेरा ही दीदार सुहाता।

यह सारा संसार व्यर्थ है।
तुम बिन मन यह नहीं अघाता।

मेरे प्यारे नियमित मिलना।
तुझसे स्नेह कमल खिल जाता।

काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 47 Views

You may also like these posts

4209💐 *पूर्णिका* 💐
4209💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
வாழ்க்கை நாடகம்
வாழ்க்கை நாடகம்
Shyam Sundar Subramanian
"सच के खिलाफ विद्रोह करते हैं ll
पूर्वार्थ
कर्म ही है श्रेष्ठ
कर्म ही है श्रेष्ठ
Sandeep Pande
7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित
7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित
Dr .Shweta sood 'Madhu'
गीता हो या मानस
गीता हो या मानस
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
खुद के होते हुए भी
खुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
🙅आज का मुक्तक🙅
🙅आज का मुक्तक🙅
*प्रणय*
जहाँ में किसी का सहारा न था
जहाँ में किसी का सहारा न था
Anis Shah
*लो कर में नवनीत (हास्य कुंडलिया)*
*लो कर में नवनीत (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
- में बचपन से कवि था मरणासन्न तक कवि रहूंगा -
- में बचपन से कवि था मरणासन्न तक कवि रहूंगा -
bharat gehlot
कतो बैसल छी भंग मतवाला,
कतो बैसल छी भंग मतवाला,
उमा झा
सोचता हूँ कभी कभी
सोचता हूँ कभी कभी
हिमांशु Kulshrestha
निराशा से बड़ी है आशा जो
निराशा से बड़ी है आशा जो
Sonam Puneet Dubey
अब्र ज़ुल्फ़ों के रुखसार  पे बिखर जाने दो।
अब्र ज़ुल्फ़ों के रुखसार पे बिखर जाने दो।
sushil sarna
जुड़ी हुई छतों का जमाना था,
जुड़ी हुई छतों का जमाना था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
डॉ. दीपक बवेजा
बिटिया मेरी सोन चिरैया…!
बिटिया मेरी सोन चिरैया…!
पंकज परिंदा
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
Harminder Kaur
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
DrLakshman Jha Parimal
उल्फत का दीप
उल्फत का दीप
SHAMA PARVEEN
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
" खेत "
Dr. Kishan tandon kranti
बची रहे संवेदना...
बची रहे संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
आक्रोश तेरे प्रेम का
आक्रोश तेरे प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
कभी-कभी
कभी-कभी
Shweta Soni
एक सूरज अस्त हो रहा है, उस सुदूर क्षितिज की बाहों में,
एक सूरज अस्त हो रहा है, उस सुदूर क्षितिज की बाहों में,
Manisha Manjari
बदलती हवाओं की परवाह ना कर रहगुजर
बदलती हवाओं की परवाह ना कर रहगुजर
VINOD CHAUHAN
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
मधुसूदन गौतम
Loading...