सजल
सजल-12221222,1222 1222
कहे है बाप से बेटी, कहाँ से दायजा लाऊँ,
करें ये माँग पैसे की,नहीं तो मार मैं खाऊँ।
सदा ही सास ताने दे, ससुर भी खार खाते हैं,
करूं मैं काम सारा ही,बड़ी फिर यातना पाऊँ ।
बदन है लाल चोटों से, बहे है खून की धारा,
सजन भी लालची सा है,किसे मैं दर्द कह आऊँ ।
कहो घर छोड़ दूं बाबा , नरक ससुराल है लगता,
तुम्हारे पास रख लो अब, सुबह से शाम घबराऊँ।
रहूं मैं पीर ही सहती, सहन की पार है ‘सीमा’,
नहीं कुछ चाहिए मुझको, समझ लो बात समझाऊँ।
सीमा शर्मा ‘अंशु’