सच वह देखे तो पसीना आ जाए
झूठ के पांव पर खड़े रहना ठीक लगे उसको
सच मगर वह देखे , तो पसीना आ जाए ।
मेरे दाता हर किसी को ऐसी रोशनी बक्सों,
कि, उसको मरने से पहले जीना आ जाए।।
✍कवि दीपक सरल
झूठ के पांव पर खड़े रहना ठीक लगे उसको
सच मगर वह देखे , तो पसीना आ जाए ।
मेरे दाता हर किसी को ऐसी रोशनी बक्सों,
कि, उसको मरने से पहले जीना आ जाए।।
✍कवि दीपक सरल