” सकारात्मक सोच “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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नकारात्मक
चिंतन से
हम स्तब्ध
हो जाते हैं !
शिथिलता ,
बोझिलता
हमारे चेहरे
पे दीखते हैं !!
हम मानते हैं
कि यह भी
एक सिक्के
का भाग है !
पर विभस्त
दुखदायी फन
फैलाये यह
विषैला नाग है !!
सकारात्मक
सोच हमें दिव्य
लगता है !
सारा ब्रमांड
हमारे करीब
रहता है !
चेहरे पे
कभी
सिकुड़न
नहीं आती है !
हंसी से
सारी दुनियाँ
खिलखिलाती है !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका