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22 Apr 2022 · 1 min read

संस्कृति

पूरब के लोग पश्चिम की और भाग रहे हैं
और पश्चिम के लोग पूरब की और आ रहे हैं

अंग्रेजी नही आती फिर भी हाय हैल्लो कह रहे हैं
वो यहां आ कर संस्कृत के श्लोक पढ़ रहे हैं

इनके तो परिधान भी छोटे और तंग हो गए हैं
और उनके वस्त्र चोली लहंगा और साड़ी हो गए हैं

कृष्ण राम बुध महावीर सबको भूल गए हैं
और उनके लिए ये सभी एक आदर्श हो गए हैं

मंदिर शिवालय सूने हो गए मधुशाला रंगीन है
इस्कॉन टेम्पल है और कृष्ण भक्ति में तल्लीन हैं

संस्कृति और सभ्यता का दामन हमने छोड़ दिया
और उन्होंने इसी छोड़े हुए दामन को ओढ़ लिया

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