Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Sep 2017 · 4 min read

संवैधानिक समस्या एवं सामाजिक विषमता का आग्रह

संवैधानिक दायित्व एवम सामाजिक विषमता का आग्रह

अबोध बचपन मासूम होता है । माता –पिता की ममता भरी छाँव मे ये नन्हा बचपन अहंकार रहित ,ब्रह्म स्वरूप केवल प्रेम मय होता है । ईर्ष्या द्वेष से रहित ऊ च – नीच जाँत –पांत से रहित केवल मानवता की प्रतिमूर्ति स्वरूप होता है । अबोध बालक जैसे –जैसे विद्यालय की सीढ़ी चढ़ता है ,वह अपनी पहचान स्थापित करने लगता है । उसके मित्र और शत्रु भी बनते हैं ।अच्छे –बुरे की पहचान यहीं से शुरू होती है । अच्छाइयाँ प्रशंसा मे परिवर्तित होकर मेधाशक्ति की प्रतीक बन जाती है और बुराइयाँ ईर्ष्या द्वेष को जन्म देकर आलोचनाओं का पैबंद बन जाती हैं । अभीतक बचपन मे जात-पांत,ऊंच नीच का भाव न होकर सबके लिए समान भाव उत्पन्न होता है । जीवन की यही प्रथम शिक्षा धर्मनिरपेक्षता का आधार स्तम्भ मनी जाती है । समत्व योग या RIGHTS TO EQUALITY,सबके लिए समान अधिकार की संवैधानिक बाध्यता अंकित करती है ।
बचपन जैसे जैसे लड़कपन मे परिवेर्तित होता है बच्चा मध्यमिक शिक्षा का विध्यार्थी बन जाता है। उसेअपनी मातृ भूमि एवम अपने पुरखों के इतिहास की समझ विकसित होने लगती है । ऊंच नीच जातिगत भावनाओं से उसके भेदभाव होने लगता है । परंतु लड़कपन इन सब दूरभावनाओ से अंजान संविधान की छड़ी पकड़ कर समान अधिकार एवम समान अवसर की वकालत करता हुआ अपनी कुंठा एवम सामाजिक दुराग्रह से उपजी मानसिक वेदना से आहत होकर विद्रोह कर बैठता है । उसे माता –पिता के अतिरिक्त मित्रों की आवश्यकता पड़ती है जिससे वह सामाजिक संघठन या सामाजिक सुरक्षा की भावना अपना सके । अपने विचार मित्रमंडली मे रख सके ,अपनी विशेष छवि बना सके ।
समय अबाध गति से बढ़ता है ,और लड़कपन युवावस्था की दहलीज पर पहुंचता है । उसे शिक्षा के अतिरिक्त अपने कैरियर को बनाना होता है ,साथ मे उसके शरीर मे हो रहे शारीरिक एवम हार्मोनल परिवर्तन उसको भ्रमित करने लगते हैं । जीवन के इस मुकाम पर विपरीत लिंगीय आकर्षण ,शारीरिक बनावट और चारित्रिक विशेषता पारिवारिक वातावरण एवम माता पिता के प्रति भावनात्मक लगाव एवम स्वयम के प्रति उत्तरदायित्व आदि समस्त विशेषता विकसित होने लगती है । जीवनरूपी वृक्ष अपने यौवन पर होता है । यौवन के जोश में उसे ऊंच नीच ,जाति पांति का सामाजिक बंधन नागवार गुजरता है ,परंतु सामाजिक जातिगत विषमता ,संपन्नता एवम अपने कैरियर के लिए आवश्यक त्याग एवम आग्रह उसके अरमानो पर ,काल्पनिक जीवन के सुनहरे सँजोये पलों पर तुषारपात कर सकता है ।
कैरियर के प्रति लापरवाही न केवल आत्मघाती होती है बल्कि जीवन की दिशा एवम दशा विफलता की ओर मोड देती है । लैंगिक आकर्षण एवम शिक्षा एवम चरित्र में सामंजस्य अत्यंत आवश्यक है । मर्यादित जीवन विध्यार्थी का अभिन्न गुण है । जरा सी चूक एवम चरित्रदोष जीवन को कलुषित कर सकता है अत :आवश्यक है कि जीवन कलंक रहित,मर्यादित एवम अनुकरणीय हो । किसी न किसी महापुरुष से जरूर प्रेरित हो ।
युवावस्था मे जब युवा रह भटक कर हवा कि दिशा के विपरीत बहने कि कोशिश करता है ,तो उसे अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ,यदि उसकी जिद बरकरार रहती है तो वह नष्ट भी हो सकता है । जैसे परवाना शमा में जल कर नष्ट हो जाता है । अत :यह आवश्यक है कि जातिगत समझ ,आपसी भाईचारे एवम सामाजिक वैमनस्य को ध्यान में रख कर ही लैंगिक आकर्षण कि ओर कदम बढ़ाएँ अन्यथा सामाजिक क्लेश एवम दुराग्रह उल्टा भी पड़ सकता है एवम जान के लाले भी पड़ सकते हैं
मुझे याद पड़ता है कि वर्षों पहले हमारे मोहल्ले में सिख –पंजाबी समुदाय के लोग निवास करते थे । उनसे सटे हुए मुख्यमार्ग पर बनिकों का बाजार व आवास था । दोनों समुदाय में जातिगतएकता थी ।माने तो सिख पंजाबी में एका था तो बणिक समाज में आपस में खूब भाईचारा था । परंतु सिख समुदाय एवम बणिक एक दूसरे के व्यवसाय में प्रतिस्पर्धी थे ,एवम सामाजिक व्यवहार में भी प्रतिस्पर्धा झलकती थी । उन्ही सिख –पंजाबी समुदायके एक युवा लड़के ने बणिक लड़की के साथ व्यक्तिगत तौर पर छेड़ छाड़ कर दी । लड़की ने यह बात अपने माता पिता को बताई । सारा बणिक समाज हथियार बंद हो उस युवा को मारने निकल पड़ा । इधर सिख समुदाय के सङ्ग्यान में भी आया कि बणिक लोग उसके समुदाय के युवा लड़केको मा -रने आ रहे हैं । सारा समाज आंदोलित हो गया । हथियारबंद हो सब एक दूसरे के सामने आ डटे ,तभी मालूम चला कि लड़का किसी तरह जान बचा कर घर से भाग गया तब उसकी जान बची । समुदाय के लोंगों ने खिची कटार वापस म्यान में रख ली और बहुत दिनो तक कटुता का माहौल बना रहा । असुरक्षा चप्पे –चप्पे पर थी ।
यह उदाहरण मैं इस लिए संदर्भित कर रहा हूँ कि धर्मनिरपेक्षता एवम सामाजिक समता का भाव हमारी प्राथमिक शिक्षा में तो निहित है किन्तु जैसे जैसे शिक्षा का स्तर उठता है विषमता एवम सामाजिक दुराग्रह एवम कैरियर के प्रति संवेदना जन्म लेती है यही सामाजिक विषमता का कारण है ।आरक्षण का भाव भी इसी में निहित है ।

डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 608 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...