संवेदन हीन घिनौना चेहरा
एक पिता ने जिस बेटे को बड़े, प्यार से बड़ा किया
जब कैराना से मरे पिता, पुत्र ने शव लेने से मना किया
अस्पताल प्रबंधन ने जब, परिजन को फोन लगाया
कोई नहीं तैयार हुआ, मौत ने इतना उन्हें डराया
पत्नी बोली पति हमारे, चले गए सो चले गए
एक ही है मेरा बेटा, अब यह न हाथ लगाएगा
इसको कुछ हो जाएगा तो, मेरा जीवन लूट जाएगा
उस कैरोना पीड़ित शव को, कोई न लेने आया
एक संवेदनहीन समाज का, घिनौना चेहरा सामने आया
एक सुरक्षित सूट पहनकर, अग्नि दान दे देना
टस से मस न हुआ वो बेटा, सबने था समझाया
तब एक प्रशासनिक अधिकारी, अंतिम क्रिया को सामने आया
नगर निगम के दो कर्मी, वह साथ में लेकर आया
दिया उन्होंने अग्नि दान, तब अंतिम संस्कार हो पाया
पर एक घिनौना चेहरा समाज का, सबके सामने आया
सोचो इस महामारी ने, डर कितना फैलाया