संविधान शर्मसार हुआ (कविता)
संविधान शर्मसार हुआ
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संसद में शपथ देखकर,
संविधान शर्मसार हुआ।
किसी ने बोला जय श्री राम ,
कुछ अल्ला से मांगी दुआ।
किसी ने काली नाम पुकारा,
कोई दुर्गा गुण गान किया।
राधे राधे बोल किसी ने,
अभिवादन स्वीकार किया।
जय ममता का नारा गूंजा,
नये इष्ट का नाम लिया।
वन्दे मातरम नहीं कहेंगे,
संसद बीच ऐलान किया।
मजहब पहले देश बाद में,
राष्ट्रगीत अपमानित हुआ।
राष्ट्र सेवक कैसे है ये,
संविधान शर्मसार हुआ।
ऐसा होता रहा अगर,
संसद कुरूक्षेत्र बन जायेगी।
मजहबी ढपली खास हो रही,
राष्ट्रीयता मर मर जायेगी।
प्रतिनिधि के लिए नियम हो,
वन्दे मातरम कहना होगा।
सत्ता सुख हित चयन नहीं,
सदस्यता निरस्त करना होगा।
(राजेश कुमार कौरव सुमित्र)