संभाल ले ज़रा आकर मुझे
टूटकर बिखर रही हूं मैं,
संभाल ले ज़रा आकर मुझे।
प्यार के गीत सुना दे फिर से,
वही दोबारा गाकर मुझे।
दर्द न दे और अब बस भी कर तू,
हो सके तो आराम दे मरहम लगाकर मुझे।
आशा का दीप जलाया है मैंने,
लौ कैसे बचाऊं चले जाना ये बताकर मुझे।
जिंदगी कैसे ढलती है देखो तो,
जा रही है ये दूर सबक सिखाकर मुझे।
गम का बादल छा रहा है मेरे मन पर,
ये घटाएं जा रही हैं डराकर मुझे।
मांगती हूं तुझे ही दुआओं में मैं,
तू भी बता खुश है न तू पाकर मुझे।