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9 Dec 2022 · 1 min read

*संत (कुंडलिया)*

संत (कुंडलिया)
_____________________________
करते हैं प्रभु भक्त पर ,निज उपकार अनंत
चलते – चलते राह में ,मिल जाते हैं संत
मिल जाते हैं संत ,दिशा जीवन की देते
जन्म – जन्म के पाप ,सोख भीतर से लेते
कहते रवि कविराय ,भाग्य से मानव तरते
उन्हें मिलाते संत ,कृपा प्रभु जिन पर करते
————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
————————————————
अनंत = जिसका अंत न हो ,असीम

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