Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Apr 2022 · 3 min read

त्याग की परिणति – कहानी

विजय अपने माता – पिता की एक अकेली संतान है | परिवार संपन्न है | विजय के माता – पिता ने अपने पुत्र विजय को बचपन से ही संस्कारों से पोषित किया था | साथ ही लोगों का सम्मान करने, अपने प्रयासों से दूसरों की मदद करने की भावना से विजय को सुसंस्कृत किया गया | विजय अब बी. टेक. की पढ़ाई पूर्ण कर चुका है और जॉब की तलाश में है |
दूसरी ओर साकेत एक गरीब परिवार का लड़का है | वह भी विजय की तरह बी. टेक. पास है | साकेत भी जॉब की तलाश में है | इन दिनों साकेत के घर के हालात ठीक नहीं है | उसे एक जॉब की सख्त जरूरत है | स्कॉलरशिप से उसे किसी तरह अपने पढ़ाई पूरी की | अब समय है कि वह अपने परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर सके और अपनी छोटी बहन को भी आगे पढ़ा सके |
विजय को एक कंपनी में इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है | इंटरव्यू से पहले वहां एक और कैंडिडेट होता है साकेत | बातों – बातों में ही साकेत अपनी पारिवारिक स्थिति के बारे में विजय को बता देता है और कहता है कि यह जॉब उसके लिए बहुत जरूरी है |
पहले साकेत का इंटरव्यू होता है उसके बाद विजय का | विजय की काबिलियत देखकर इंटरव्यू के दौरान ही अगले दिन से ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा जाता है | किन्तु विजय अपनी ओर से साकेत को जॉब पर रखने के लिए गुजारिश करता है और कहता है कि मैं किसी और कंपनी में भी सेलेक्ट हो जाऊंगा | मेरी पारिवारिक स्थिति भी सुदृढ़ किन्तु साकेत को इस जॉब की बहुत ही ज्यादा जरूरत है | विजय की इस रिक्वेस्ट को इंटरव्यू समिति स्वीकार कर लेती है और जॉब साकेत को मिल जाती है |
साकेत को जब कंपनी की ओर से कॉल आता है तो वह आश्चर्य में पड़ जाता है कि विजय तो मेरे से भी ज्यादा इंटेलीजेंट है फिर ये जॉब ऑफर उसे कैसे | फिर भी साकेत ख़ुशी – ख़ुशी कंपनी ज्वाइन कर लेता है | साकेत को कम्पनी में काम करते हुए केवल एक सप्ताह ही बीतता है कि उसके बॉस एक अनाउंसमेंट करते हैं कि कल से आप सभी को एक नया बॉस मिलने वाला है चूंकि मेरा ट्रान्सफर दूसरी ब्रांच में कर दिया गया है |
अगले दिन ऑफिस के सभी कर्मचारी नए बॉस के आगमन को लेकर उत्साहित रहते हैं | तभी एक सजीला जवान लड़का सूट – बूट में, गले में टाई . चमकते जूतों के साथ ऑफिस में प्रवेश करता है | सभी उसके आगमन पर तालियाँ बजाकर उसका स्वागत करते हैं | इस नए बॉस के रूप में को देख साकेत अचम्भे में पड़ जाता है कि जिस पोस्ट पर मैं हूँ उसी पोस्ट पर विजय भी एक सप्ताह पहले इंटरव्यू के लिए आया था | फिर ये मेरा बॉस कैसे | ये सब बातें साकेत के दिमाग में चल रही थीं | विजय सभी से एक – एक कर हाथ मिलाता है | साकेत से भी | साकेत को विश्वास ही नहीं हो रहा है विजय को बॉस के रूप में देखकर |
विजय खुश है कि आज वो साकेत की वजह से ही इस मुकाम पर है | यदि वो साकेत के जॉब के लिए रिक्वेस्ट नहीं करता तो शायद ये मौका उसे नहीं मिलता | विजय की सकारात्मक सोच, सहृदयता और मानवीय संवेदनाओं ने ही उसे इस पद पर आसीन किया | साकेत भी विजय को बॉस के रूप में पाकर खुश है | उसे एहसास है कि विजय ने उसके लिए त्याग किया और उसी का प्रतिफल उसे एक ऊंचे पद पर आसीन होकर मिल रहा है |

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 401 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
Pankaj Sen
कहने को सभी कहते_
कहने को सभी कहते_
Rajesh vyas
सत्याधार का अवसान
सत्याधार का अवसान
Shyam Sundar Subramanian
वो ख्यालों में भी दिल में उतर जाएगा।
वो ख्यालों में भी दिल में उतर जाएगा।
Phool gufran
ग़ज़ल/नज़्म/मुक्तक - बिन मौसम की बारिश में नहाना, अच्छा है क्या
ग़ज़ल/नज़्म/मुक्तक - बिन मौसम की बारिश में नहाना, अच्छा है क्या
अनिल कुमार
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
सत्य कुमार प्रेमी
कैसा
कैसा
Ajay Mishra
******* प्रेम और दोस्ती *******
******* प्रेम और दोस्ती *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
संजय सनातन की कविता संग्रह गुल्लक
संजय सनातन की कविता संग्रह गुल्लक
Paras Nath Jha
🌼एकांत🌼
🌼एकांत🌼
ruby kumari
गम्भीर हवाओं का रुख है
गम्भीर हवाओं का रुख है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*देखने लायक नैनीताल (गीत)*
*देखने लायक नैनीताल (गीत)*
Ravi Prakash
नर से नर पिशाच की यात्रा
नर से नर पिशाच की यात्रा
Sanjay ' शून्य'
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
SHAMA PARVEEN
आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
"नजरिया"
Dr. Kishan tandon kranti
कर्त्तव्य
कर्त्तव्य
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पत्नी की पहचान
पत्नी की पहचान
Pratibha Pandey
इमारत बड़ी थी वो
इमारत बड़ी थी वो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अपना मन
अपना मन
Harish Chandra Pande
"काहे का स्नेह मिलन"
Dr Meenu Poonia
2325.पूर्णिका
2325.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"अकेडमी वाला इश्क़"
Lohit Tamta
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
2) भीड़
2) भीड़
पूनम झा 'प्रथमा'
जमाने को खुद पे
जमाने को खुद पे
A🇨🇭maanush
सड़क जो हाइवे बन गया
सड़क जो हाइवे बन गया
आर एस आघात
Live in Present
Live in Present
Satbir Singh Sidhu
मेहनती मोहन
मेहनती मोहन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
■ तंत्र का षड्यंत्र : भय फैलाना और लाभ उठाना।
■ तंत्र का षड्यंत्र : भय फैलाना और लाभ उठाना।
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...