संघर्ष से संघर्ष
संघर्ष से संघर्ष
रुको नहीं तुम जरी रखो ,संघर्ष से संघर्ष करना ,
बहुत निकट आ खड़े हुए हो ,अब चंद पग ही है चलना ,
थोडा धुंधल कुहासा है ,थोडा शख्त पवनो का बहना ,
बस रवि प्रताप आते ही ,प्रकाशित होगा सुन्दर सपना ,
कुछ और शर्वरी में जलकर सायक, कर दो खुशियाँ अर्पण ,
बस होते ही भोर मिलेगा वापस खुशियों का वो दर्पण ,
समस्याएं मूल चुनौती है ,दूर नहीं इनसे भगना ,
बहुत निकट आ खड़े हुए हो, अब चंद पग ही है चलना ,
एक हार से कुंठित होकर शांत नहीं बैठा करते ,
कई चोट सहकर ही पत्थर भी भगवान बना करते ,
हार मानने वालो को कभी शूरवीर नहीं कहते ,
कर्मभूमि में संघर्षरत नर अक्सर इतिहास है रचते ,
असफताओं के अग्निकुंड में कुछ और नींदों की आहुति देना ,
बहुत निकट आ खड़े हुए हो , अब चंद पग ही है चलना ,
जय श्री सैनी ‘सायक ‘