Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2023 · 1 min read

संगीत

तन मन झंकृत हो गया, सुन करके संगीत।
गीतों का संगम हुआ,संग मनोहर मीत।
संग मनोहर मीत, जगत जीवन संचारे।
भाव अनोखे गूंज, गगन गूँजे गुंजारे।
कहे प्रेम कविराय, मगन गीतों में मुनि जन।
रचते नवरस भाव,प्रेरणा पाते तन मन।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

81 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
आजकल गजब का खेल चल रहा है
आजकल गजब का खेल चल रहा है
Harminder Kaur
सत्य दीप जलता हुआ,
सत्य दीप जलता हुआ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
"सुनो तो"
Dr. Kishan tandon kranti
जिसे तुम ढूंढती हो
जिसे तुम ढूंढती हो
Basant Bhagawan Roy
संदेशा
संदेशा
manisha
*कालरात्रि महाकाली
*कालरात्रि महाकाली"*
Shashi kala vyas
अरब खरब धन जोड़िये
अरब खरब धन जोड़िये
शेखर सिंह
जगदम्ब शिवा
जगदम्ब शिवा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
💐प्रेम कौतुक-271💐
💐प्रेम कौतुक-271💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कुछ यूं मेरा इस दुनिया में,
कुछ यूं मेरा इस दुनिया में,
Lokesh Singh
आपकी सोच जैसी होगी
आपकी सोच जैसी होगी
Dr fauzia Naseem shad
सहज है क्या _
सहज है क्या _
Aradhya Raj
अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
Dr. Mulla Adam Ali
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
manjula chauhan
Kabhi kitabe pass hoti hai
Kabhi kitabe pass hoti hai
Sakshi Tripathi
नौजवानों से अपील
नौजवानों से अपील
Shekhar Chandra Mitra
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
हजारों मील चल करके मैं अपना घर पाया।
हजारों मील चल करके मैं अपना घर पाया।
Sanjay ' शून्य'
नशे में फिजा इस कदर हो गई।
नशे में फिजा इस कदर हो गई।
लक्ष्मी सिंह
- मोहब्बत महंगी और फरेब धोखे सस्ते हो गए -
- मोहब्बत महंगी और फरेब धोखे सस्ते हो गए -
bharat gehlot
बस यूँ ही
बस यूँ ही
Neelam Sharma
■ क्यों ना उठे सवाल...?
■ क्यों ना उठे सवाल...?
*Author प्रणय प्रभात*
औलाद
औलाद
Surinder blackpen
शिर्डी के साईं बाबा
शिर्डी के साईं बाबा
Sidhartha Mishra
दिलों का हाल तु खूब समझता है
दिलों का हाल तु खूब समझता है
नूरफातिमा खातून नूरी
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
Suryakant Dwivedi
*
*"ममता"* पार्ट-5
Radhakishan R. Mundhra
बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)
बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
gurudeenverma198
"बोलती आँखें"
पंकज कुमार कर्ण
Loading...