श्री राम
जय श्री राम जय सुखधाम,कष्ट हरो सबके भगवान।
जग के कष्ट मिटाने को प्रभु ,धर मानव रूप धरा पर आए।
चैत्र शुक्ल प्रभु प्रगट हुए,दशरथ भूप के पुत्र कहाए।
धीर गंभीर पितु आज्ञा कारी, दर्शन से कृत कृत नर नारी
असुरों का संहार किया,मानवता का विस्तार किया।
जग में आकर के प्रभु ने,भक्तों का कल्याण किया।
राम नाम इस मनुज को जग में ,भव से पार लगाता है ।
मन में राम की मूरत बसाए,नर भाग्यशाली बन जाता है।
राम की महिमा का गुणगान,नित्य नियम से जो करता।
जीवन सफल सदा है उसका,जो प्रीत राम से है करता।
राम नाम से बैर करे जो,बड़ा अभागा होता है वो।
होता है अपयश का भागी,रहे सदा माया अनुरागी।
जीवन में भला यदि चाहे,राम चरण में प्रीत लगाए।
हनुमत राम चरण अनुरागी,जग में सदा रहे बडभागी।
राम के हृदय पाया बासा,सुमिरत जिनके दुख सब नासा।
राम प्रभु के काज संवारे,राम संग सदा बिराजे।
राम नाम गुन गानेबाला,हनुमत रहे सदा रखवाला।
राम नाम महिमा अति भारी,कही न जाय बुद्धि बिचारी।ए
राम नाम जग एक आधारा,दुखी जन का सदा सहारा।
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स्वराचित एवम मौलिक
कंचन वर्मा शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश