श्रीमद्भगवद्गीता ?
अद्भुत ग्रंथ है श्रीमद्भगवद्गीता।
प्रभू की अमृतवाणी है गीता।
प्रिय सखा की सलाह है गीता।
ऋषियों की सिद्धि है गीता।
गुरु का उपदेश है गीता।
दार्शनिक का दर्शन है गीता।
मनोचिकित्सक उपचार है गीता।
वैज्ञानिक अनुसंधान है गीता।
कवि की अभिव्यक्ति है गीता।
जिज्ञासु का समाधान है गीता।
भक्ति का आधार है गीता।
वीरों की शक्तिभक्ति है गीता।
समस्या का समाधान है गीता।
बच्चों का संस्कार है गीता।
युवाओं का जोश ओज है गीता।
वृद्धों की सेवा सम्मान है गीता।
आत्मा की पहचान है गीता।
परमात्मा से मिलन है गीता।
मुक्ति का संमार्ग है गीता।
कर्म की पक्षकार है गीता।
जीवन लक्ष्य निर्धारक गीता।
मजहबी बंधन से पार है गीता।
सीमा बन्धन से मुक्त है गीता।
हिन्दुत्व का सम्मान है गीता।
भारत की पहचान है गीता।
जितनी बार पढ़े जो गीता।
उतना अमृत सार वह पीता।
जिसने पढ़ी सुनी नहीं गीता।
जीवन सौभाग्य स्वयं का खोता।
बता ना पाऊं क्या क्या है गीता।
(राजेश कौरव” सुमित्र”)