#श्रीधर हैं रथवान
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🚩 #श्रीधर हैं रथवान 🚩
स्नान दान कर्म अकर्म सब मैं भूल रहा हूँ
प्रेम के हिंडोले में मैं झूल रहा हूँ
प्रेम के हिंडोले में मैं झूल रहा हूँ . . . !
बहुत देखे चाँद भीजे सावन बहुतेरे
बालों में खिलते फूल आँख के काले घेरे
ताल सरोवर नदिया परबत के फेरे
मन-मंदिर में लौट हवा-सा मैं फूल रहा हूँ
प्रेम के हिंडोले में मैं झूल रहा हूँ . . .
देव कहाँ कुछ ध्यान नहीं पितर किधर हैं
मेरे वो मैं जिनका जहाँ जिधर हैं
माटी डोले जहाँ-तहाँ प्राण इधर हैं
बस गया हूँ उन चरणों में जिनकी मैं धूल रहा हूँ
प्रेम के हिंडोले में मैं झूल रहा हूँ . . .
देव-अर्पित फूलों की महक मेरी है
कृपासागर छूने की ललक मेरी है
मेरे दिन के सूरज की चमक मेरी है
श्रीधर हैं रथवान अब त्रिताप को मैं हूल रहा हूँ
प्रेम के हिंडोले में मैं झूल रहा हूँ . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२