श्रद्धा से शीश झुकाऍं (गीत)
श्रद्धा से शीश झुकाऍं (गीत)
***********
जीवन-भर निज पुरखों को, श्रद्धा से शीश झुकाऍं
(1)
चले गए जो जग से उनके, सौ- सौ ऋण हैं भारी
हमें चाहिए हम उनके, हों सदा-सदा आभारी
याद करें एहसानों को, उनके पावन गुण गाऍं
(2)
जन्म दिया था और पकड़, उँगली चलना सिखलाया
पालन – पोषण किया हमारा, जग में उच्च बनाया
सोचें तो उनका अथाह-ऋण, शायद चुका न पाऍं
(3)
करें याद हम दादी-बाबा, परबाबा-परदादी
कितना प्रेम छुपा था उनमें, आओ करें मुनादी
चित्र सँजो कर मन में उनके, साँसों को महकाऍं
जीवन-भर निज पुरखों को, श्रद्धा से शीश झुकाऍं
*********************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451