श्रद्धाँजलि
श्रद्धाँजलि
जलियांवाला बाग दिवस,
याद हमें दिलाता है।
वीर शहीदो के चरणों
शीश स्वयं झुक जाता है।
गुलामी के अत्याचारों की
याद सदा दिलाता है।
निर्दोषो की हत्या सुन पढ़
जी सबका भर जाता है।
हाथ मसल रह जाते
मन दुखी हो जाता है।
अब न आवे ऐसा समय
संकल्प जी में आता है।
इकजुट हों राष्ट्र हित में
सबक हमेंं सिखलाता है।
आपसी मतभेद भूल
लड़ना सदा सिखाता है।
शांति अहिंसा भाईचारा
कायरता नहीं हमारी है।
दुनिया में फैले भ्रम को
आज मिटाना जरूरी है।
श्रद्धाँजलि समर्पित करने
चरण पुष्प चढ़ाते है।
बलिदान आपका व्यर्थ न हो
प्रतिज्ञा पुनःदोहराते है।
(राजेश कुमार कौरव सुमित्र)