श्रंगार
जनकपुरी के उद्यान में अमलतास के बृक्ष के पुष्पों से घिरे श्री राम के सौंदर्य को देखकर स्तंभित हो गई जानकी।
नव पुष्प खिल गए हृदय कमल में श्री राम को नयनों में बसा सुरभित सुगंधित हो गई जानकी।
प्रेम के अंकुर पल्लवित हो गए सखियों से आनंदित हो परिचय पूछ रही जनक सुता सुंदरी जानकी।
प्रेम से अभिभूत हो मां उमा से प्रार्थना कर रहीं कि श्री राम ही धनुष भंजन कर स्वयंवर में विजित हो जानकी।
विपिन