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9 Jul 2024 · 1 min read

श्रंगार

तुम से कितना मौहब्बत है बयां कर नहीं सकता।
जमाना क्या कहेगा यह सोच इजहार कर नहीं सकता।
पी लेंगे हलाहल की तरह तुम्हारे प्यार के वजूद को।
मेरी बजह से तुम बदनाम हो मैं यह कर नहीं सकता।
विपिन

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