श्रंगार
तुम से कितना मौहब्बत है बयां कर नहीं सकता।
जमाना क्या कहेगा यह सोच इजहार कर नहीं सकता।
पी लेंगे हलाहल की तरह तुम्हारे प्यार के वजूद को।
मेरी बजह से तुम बदनाम हो मैं यह कर नहीं सकता।
विपिन
तुम से कितना मौहब्बत है बयां कर नहीं सकता।
जमाना क्या कहेगा यह सोच इजहार कर नहीं सकता।
पी लेंगे हलाहल की तरह तुम्हारे प्यार के वजूद को।
मेरी बजह से तुम बदनाम हो मैं यह कर नहीं सकता।
विपिन