शैर
आज भी याद है हमें तबाही का मंजर,
आज के दिन वक्त ने मारा था ख़ंजर,
सीने से मेरे दिल काट कर ले गया,
हमको विरह वेदना में छोड़ गया,
ले गया सारी खुशियों को छीन के,
दे गया गम आसुंओ को सींच के,
सब पूछते हैं बेदर्दी कब मुस्करायेगा,
कैसे बताऊं मैं कृष्णा अब न हस पायेगा,