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21 Sep 2024 · 1 min read

शेष है अभी…

शेष है अभी…

मैं नहीं चाहता अभी
मृत्यु का वरण करना
प्रेम का वरण करना
शेष है अभी
साँसों में

प्रतीक्षा की दहलीज़ पर
खड़े हैं कई स्वप्न
निस्तेज से
अवसन्न मुद्रा में
साकार होने को
मैं नहीं चाहता
सपनों की किर्चियों से
पलक पथ को रक्तरंजित करना
तिमिर गुहा में
यथार्थ से
साक्षात्कार करना
शेष है अभी
साँसों में

अभी अनीस नहीं हुई
मेरी देह
ज़िंदा हैं आज भी
मेरी देह में गूंजती
स्पर्शों की किलकारियाँ
मेरे अबोले भावों की
सुलगती चिंगारियाँ
मैं नहीं चाहता
विछोह की अनिल में
स्वयं को भस्म करना
प्रेमाग्नि में
सूक्ष्म सम्बोधनों का
वरण करना
शेष है अभी
साँसों में

सुशील सरना

8 Views
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