शृंगार ….
शृंगार ….
बीतता है क्षण जो प्रतीक्षा के अंगार में
…बदल जाता है क्षण वो अनमोल प्यार में
……अवगुंठन में लाज के टूटते अनुबंध सभी
………डूबते हैं अधर फिर अधरों के शृंगार में
सुशील सरना
शृंगार ….
बीतता है क्षण जो प्रतीक्षा के अंगार में
…बदल जाता है क्षण वो अनमोल प्यार में
……अवगुंठन में लाज के टूटते अनुबंध सभी
………डूबते हैं अधर फिर अधरों के शृंगार में
सुशील सरना