*शून्य में विराजी हुई (घनाक्षरी)*
शून्य में विराजी हुई (घनाक्षरी)
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सुख उसको नहीं, कहेंगे हम किसी भाँति
सुख जो कि मिलता है, धन ही को पाने से
सुख वह भी नहीं है, वास्तविक कैसे कहें
सुख पद-पदवी के, मिलता जो आने से
कोई सुख ढूॅंढता है, घर ही के बीच रह
मगन हो जिंदगी, गृहस्थ की मनाने से
सुख राशि अनुपम, शून्य में विराजी हुई
मिलता अनंत सुख, उस ही में जाने से
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रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451