Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2022 · 3 min read

शिव जी को चम्पा पुष्प , केतकी पुष्प कमल , कनेर पुष्प व तुलसी पत्र क्यों नहीं चढ़ाए जाते है ?

शिव जी को चम्पा पुष्प , केतकी पुष्प
कमल , कनेर पुष्प व तुलसी पत्र क्यों नहीं चढ़ाए जाते है ?
समाधान उत्तर –चौपई (जयकरी छंद 21 गाल )के
पुनीत रुप गागाल 221 में

जयकरी छंद में पदांत – गाल (पुनीत रुप में– गागाल )
~~~~~~~~~~~~~ सामान्य मान्यता

रखती सुंदर चम्पा फूल | खुश्बू रखकर करती भूल ||
भँवरा कहता उसको बाँझ | चम्पा रोती ढलती साँझ ||
मिले पराग न उसके भाग | करता भँवरा उसका त्याग ||
लगती चम्पा उसको हीन | खुश्बू रंगत लगते दीन ||
~~~~~~~~~~~
धार्मिक मान्यता (नारद जी से श्रापित चम्पा राधा जी के काम आई )

शिव को चम्पा से आनंद | चम्पा खेली छल का छंद ||
बोली थी नारद से झूठ | नारद जी तब जाते रूठ ||
देते नारद जी है श्राप | उतरे तेरे मद का ताप ||
मत पराग का होगा वास | शिव आँगन से तेरा ह्रास ||

बुरी नियत का ले संज्ञान | आया था कोई नादान ||
तब देकर चम्पा ने फूल | जीवन में की भारी भूल ||
नारद पूछें तब इंकार | करे नहीं गलती स्वीकार ||
तब पराग का सूखा नूर | तब से चम्पा शिव से दूर ||

चम्पा रोती हरि के पास | मैं कहलाऊँ किसकी खास ||
कहते हरि यदि तू तैयार | राधा कर सकती उद्धार ||
राधा के तू आना काम | जिससे मुझको है आराम |
राधा पावन इस संसार | मिले उसे बस मेरा प्यार ||

चम्पा जाती राधा पास | कहती कर‌‌लो मुझमें वास ||
अब तो हरि चरणों की धूल | सदा सुधारें ‌मेरी भूल ||
राधा चम्पा बनके फूल | व्यंग्य बाण के सहती शूल ||
अपना रखती छुपा पराग | सिर्फ कृष्ण को देती भाग ||

भ्रमर रहे इस नाते दूर | हरि ही छूते उसका नूर ||
हरि का भँवरा होता दास | इस कारण मत जाए पास ||
राधा रहती चम्पा फूल | यादें हरि को यमुना कूल ||
चम्पा उनको है स्वीकार | देते उसको अपना प्यार ||
~~~~~~~~~~~~~
केतकी प्रसंग

श्रीहरि -ब्रम्हा है तैयार | पता लगाने शिव आकार ||
ब्रम्हा जाते है पाताल | भरें विष्णु जी नभ में चाल ||
श्रीहरि लौटे खाली हाथ | नहीं मिली ऊँचाई नाथ ||
ब्रम्हा लौटे भरते ओज | गहराई ली हमने खोज ||

कहें केतकी सच है बात | यहाँ गवाही दूँ सौगात ||
कहते शिव है, करती पाप | सुनो केतकी मेरा श्राप ||
तुझे डसेगें मेरे नाग | आज छोड़ता तुझसे राग ||
जग में तब से सहती शूल | नहीं केतकी चढ़ते फूल ||

ब्रम्हा का भी गिरता शीष | झूँठ वचन जो बोला दीश |
बचे चार सिर बोलें नाथ | नहीं हमारा समझों साथ ||
ब्रम्हा का तब झुकता माथ | क्षमा माँगते जोड़े हाथ ||
महादेव ही जग आधार | जिनकी महिमा अपरम्पार ||

तब से ब्रम्हा मुख है चार | गिरा पाँचवाँ है बेकार ||
नहीं बोलना जग में झूठ | वर्ना जाते शिव जी रूठ ||
कहे केतकी मुझसे भूल | झूँठ उगा तन ,बनके शूल ||
क्षमा करो हे , दीनानाथ | ‌सर्प डसें मत मेरा माथ ||

शिव कहते है लेना पाल | सर्प रखेगें तेरा ख्याल ||
नहीं झूँठ का देना साथ | देने पर डस लेगें माथ ||
कहे केतकी जोड़े हाथ | किस चरणों में जाऊँ नाथ ||
श्रीहरि ही तब आए काम | मिला केतकी को आराम ||
~~~~~~~~~~~~~~
तुलसी प्रसंग

कहें प्रिया हरि तुलसी आन | श्रीहरि जैसा दें सम्मान ||
करें नहीं हरिहर स्वीकार | बेल पत्र को बस दें प्यार ||
~~~~~~~~~~~~~~
कमल , कनेर पुप्ष प्रसंग

शिव कनेर को देते मान | कहें लक्ष्मी की ये आन ||
शिवजी देते है‌ संदेश | सबका अपना रहता वेश ||
लाल पुष्प में लक्ष्मी मान | शिव खुद करते इनका गान ||
नहीं चढ़ाना शिव को आप | स्वीकारे मत इनकी जाप ||
(जाप =माला)
~~~~~~~~~~
श्री शिव जी का संदेश

किसने समझा शिव संदेश | क्या चाहें शिव कैसा वेश ||
जो भजते है शिव का नाम | उन तक मेरा है पैगाम ||
सदा बुराई देना तोड़ | शिव के सम्मुख आना छोड़ ||
गरल आपका कर लें पान | जग को अमरत देते दान ||

गरल कंठ में रखें सम्हाल | नहीं उतारे तन में काल ||
इस लीला से दें संदेश | नहीं बुराई आवें लेश ||
~~~~~~~~~~~~~~
सुभाष सिंघई

Language: Hindi
1 Like · 236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भाव - श्रृँखला
भाव - श्रृँखला
Shyam Sundar Subramanian
शाम
शाम
N manglam
अवधी लोकगीत
अवधी लोकगीत
प्रीतम श्रावस्तवी
राम छोड़ ना कोई हमारे..
राम छोड़ ना कोई हमारे..
Vijay kumar Pandey
■ सब व्हाट्सअप यूँनीवर्सिटी और इंस्टाग्राम विश्वविद्यालय से
■ सब व्हाट्सअप यूँनीवर्सिटी और इंस्टाग्राम विश्वविद्यालय से
*Author प्रणय प्रभात*
*तपती धूप सता रही, माँ बच्चे के साथ (कुंडलिया)*
*तपती धूप सता रही, माँ बच्चे के साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मन का महाभारत
मन का महाभारत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सफल
सफल
Paras Nath Jha
जीवन
जीवन
नन्दलाल सुथार "राही"
"चालाक आदमी की दास्तान"
Pushpraj Anant
2856.*पूर्णिका*
2856.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
साहित्य - संसार
साहित्य - संसार
Shivkumar Bilagrami
दिला दअ हो अजदिया
दिला दअ हो अजदिया
Shekhar Chandra Mitra
खुद को इतना हंसाया है ना कि
खुद को इतना हंसाया है ना कि
Rekha khichi
जिस बस्ती मेंआग लगी है
जिस बस्ती मेंआग लगी है
Mahendra Narayan
"राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
दोस्ती के धरा पर संग्राम ना होगा
दोस्ती के धरा पर संग्राम ना होगा
Er.Navaneet R Shandily
तुझसे मिलकर बिछड़ना क्या दस्तूर था (01)
तुझसे मिलकर बिछड़ना क्या दस्तूर था (01)
Dr. Pratibha Mahi
💐क: अपि जन्म: ....💐
💐क: अपि जन्म: ....💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जै जै अम्बे
जै जै अम्बे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तसल्ली मुझे जीने की,
तसल्ली मुझे जीने की,
Vishal babu (vishu)
काश़ वो वक़्त लौट कर
काश़ वो वक़्त लौट कर
Dr fauzia Naseem shad
నమో గణేశ
నమో గణేశ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य
Dr.Rashmi Mishra
मैं किताब हूँ
मैं किताब हूँ
Arti Bhadauria
वादे खिलाफी भी कर,
वादे खिलाफी भी कर,
Mahender Singh Manu
सम्राट कृष्णदेव राय
सम्राट कृष्णदेव राय
Ajay Shekhavat
ऐ ज़िन्दगी ..
ऐ ज़िन्दगी ..
Dr. Seema Varma
क्यों अब हम नए बन जाए?
क्यों अब हम नए बन जाए?
डॉ० रोहित कौशिक
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...