Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2023 · 4 min read

#शिव के भक्त – भक्तों के शिव

🔱 #शिव के भक्त – भक्तों के शिव 🔱

साहित्यकार डॉक्टर रामकुमार वर्मा ने साहित्य की कई विधाओं को समृद्ध किया। उन्हें हिंदी एकांकी का जनक कहा जाता है। वे अभिनेता भी थे और हास्यकवि भी। ईस्वी सम्वत १९६५ के आसपास साहित्यिक पत्रिका धर्मयुग में उनका एक संस्मरण प्रकाशित हुआ था जिसमें उन्होंने अपने जीवन की चार घटनाओं का वर्णन किया था।

वे लिखते हैं कि मैं बालपन से ही शिवभक्त हूँ। लगभग चौदह वर्ष की आयु में एक रात स्वप्न में भगवान भोलेशंकर ने उन्हें दर्शन दिए। भगवान कैलासशिखर पर विराजमान थे और उनके वामांग माँ पार्वती थीं। मैं किंचित भयभीत हुआ। तभी जगतमाता बोलीं, “बेटा डरो मत, भगवान तुम पर प्रसन्न हैं। जो इच्छा हो मांग लो।”

मैंने अपने बालपन का परिचय देते हुए कहा कि ऐसा कर दें कि मेरे परिवार का कोई व्यक्ति कभी नहीं मरे।

भोलेभंडारी इतने उच्चस्वर में ठहाका लगाकर हँसे कि मेरी आँख खुल गई। मेरा तनवसन पसीने से भीगा हुआ था।

दूजी घटना तब की है जब वे कॉलेज के विद्यार्थी थे। मित्रों के संग गंगास्नान को जाना उनका नित्य का खेल था। परंतु, कोई कितना भी कुशल तैराक हो यदि भँवर में उलझ जाए तो उससे निकल पाना बहुत कठिन होता है। उस दिन मित्रों ने मुझे भँवर में फंसकर नीचे जाते हुए तो देखा परंतु, बहुत समय बीतने पर भी जब मैं वापस ऊपर नहीं लौटा तो बिचारे वहीं बैठकर विलाप करने लगे। और मैं बहती धारा के साथ नीचेनीचे बहुत दूर वहाँ तक निकल गया जहाँ एक मछुआरा अपनी नाव खे रहा था। उसे मेरा सिर दिखाई दिया। तभी उसने बालों से पकड़कर मुझे ऊपर खींच लिया।

मैं इतनी दूर पहुंच चुका था कि वो भी आश्चर्यचकित होकर बोला, “पानी के नीचेनीचे इतनी दूर तक बहकर आने वाले के मुंह में एक बूंद पानी नहीं गया। यह भोलेबाबा की ही कृपा है भय्या!”

तीसरी घटना इस तरह है कि जब वे अध्यापक हो चुके थे तब एक दिन घर के पुस्तकालय में कुछ ढूंढ रहे थे। एक अलमारी में एक बड़ा-सा लिफाफा दिखा। उसमें हाथ डालकर बाहर निकाला तो उनके हाथ में चार-पाँच फुट लंबा नाग था जिसे उन्होंने तुरंत छोड़ दिया और वो झट से नाली के रास्ते बाहर निकल गया।

चौथी घटना तब की है जब वे नगर से दूर एक नवीन उपनगर में बस गए थे। ठिठुरती कंपकंपाती सर्दी की रात थी उस दिन। दवा लेने के लिए शहद मांगा तो पता चला कि शहद तो कल ही समाप्त हो गया था और आज लाना भूल गए। डॉक्टर का कहना था कि एक निश्चित अवधि तक दवा नियमित लेनी है, यदि एक दिन भी छूट गया तो फिर से आरंभ करनी होगी। इस नवीन बस्ती में नाममात्र की ही दुकान थी और वो भी सूरज ढलने के साथ ही बंद हो जाती थी। अब क्या करें?

खोजने पर घर में ही टिन की एक डिबिया मिल गई जो न जाने कब लेकर आए थे। उसमें मात्र इतना ही शहद था कि आज का काम चल जाए। खुरचखरोंचकर उसमें से जो शहद निकला उसी से मैंने दवा ले ली।

लेकिन, कुछ पल ही बीते थे कि मैं अचानक गिरकर मूर्छित हो गया। बस्ती में संभवतया डॉक्टर की दुकान तो थी परंतु, इस समय तो मिलेगा नहीं। पासपड़ोस में अभी जानपहचान नहीं थी। तब अपने पारिवारिक डॉक्टर को फोन किया गया तो उन्होंने इस समय इतनी दूर आने में असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि आप कार में डालकर उनको यहाँ मेरे पास ले आइए।

डॉक्टर देखते ही चौंके। शरीर का रंग धीरे-धीरे नीला पड़ता जा रहा था। वे बोले, “इन्होंने विषपान किया है अथवा इन्हें विष दिया गया है।”

उनसे पुरानी पहचान थी इसलिए उन्होंने तुरंत उपचार आरंभ किया। पूरी रात उन्होंने भी जागकर बिताई। दिन निकलने के साथ-साथ मुझे चेत हुआ। तब उन्होंने शहद की वो डिबिया मंगवाई और उसे जाँचने के लिए प्रयोगशाला में भेज दिया।

तब एक दिन, डॉक्टर घर पर आए। उनके हाथ में उस शहद की जाँचरपट थी। उन्होंने बताया कि टिन की डिब्बी में वो शहद इतना पुराना हो चुका था कि विष बन गया और विष भी ऐसा प्राणघातक कि पलभर में व्यक्ति के प्राणपखेरू उड़कर प्रभुचरणों में जा पहुंचें। लेकिन, आपको उस दिन मेरे पास आने में न्यूनतम डेढ़ घंटा तो लगा होगा। ऐसा चमत्कार कैसे हुआ? मैं अचंभित हूँ।

लेकिन, मैं अचंभित नहीं था। भोलेबाबा ने तीन बार मेरे प्राण लौटाए हैं। अब आगे क्या-क्या होने वाला है, वही जानें।

जब यह संस्मरण प्रकाशित हुआ तब उनकी आयु लगभग साठ वर्ष थी और पचासी वर्ष की आयु में वे शिवचरणों में लीन हुए।

हे सुधि पाठक, आपके पास इस संस्मरण के बाद की कुछ जानकारी हो तो सांझा करें।

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०१७३१२

69 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भक्ति एक रूप अनेक
भक्ति एक रूप अनेक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
Phool gufran
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ankit Halke jha
मैं पीपल का पेड़
मैं पीपल का पेड़
VINOD CHAUHAN
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
Sanjay ' शून्य'
कुछ बातें पुरानी
कुछ बातें पुरानी
PRATIK JANGID
"ले जाते"
Dr. Kishan tandon kranti
तलबगार दोस्ती का (कविता)
तलबगार दोस्ती का (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
जबसे तुमसे लौ लगी, आए जगत न रास।
जबसे तुमसे लौ लगी, आए जगत न रास।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"मेरी जिम्मेदारी "
Pushpraj Anant
जो थक बैठते नहीं है राहों में
जो थक बैठते नहीं है राहों में
REVATI RAMAN PANDEY
VN138 là trang cá cược chính thức của VN138  liên kết với nh
VN138 là trang cá cược chính thức của VN138 liên kết với nh
Vn138
बर्षो बीते पर भी मन से,
बर्षो बीते पर भी मन से,
TAMANNA BILASPURI
4915.*पूर्णिका*
4915.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मानव जीवन की बन यह पहचान
मानव जीवन की बन यह पहचान
भरत कुमार सोलंकी
ज्ञान पुंज गुरु मानिए,
ज्ञान पुंज गुरु मानिए,
sushil sarna
इस पेट की ज़रूरते
इस पेट की ज़रूरते
Dr fauzia Naseem shad
निराला का मुक्त छंद
निराला का मुक्त छंद
Shweta Soni
*मंजिल मिलेगी तुम अगर, अविराम चलना ठान लो 【मुक्तक】*
*मंजिल मिलेगी तुम अगर, अविराम चलना ठान लो 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
इश्क़ चाहत की लहरों का सफ़र है,
इश्क़ चाहत की लहरों का सफ़र है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अरब खरब धन जोड़िये
अरब खरब धन जोड़िये
शेखर सिंह
..
..
*प्रणय*
आकाश से आगे
आकाश से आगे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सफर 👣जिंदगी का
सफर 👣जिंदगी का
डॉ० रोहित कौशिक
कृष्ण कुंवर ने लिया अवतरण
कृष्ण कुंवर ने लिया अवतरण
राधेश्याम "रागी"
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
नूरफातिमा खातून नूरी
दीपावली
दीपावली
surenderpal vaidya
होलिका दहन कथा
होलिका दहन कथा
विजय कुमार अग्रवाल
वायरल होने का मतलब है सब जगह आप के ही चर्चे बिखरे पड़े हो।जो
वायरल होने का मतलब है सब जगह आप के ही चर्चे बिखरे पड़े हो।जो
Rj Anand Prajapati
गीत _ इतना तो बतलाओ तुम !
गीत _ इतना तो बतलाओ तुम !
Neelofar Khan
Loading...