शिव के गीत
सावन में भोला की नगरी, भींड भइल बा भारी।
दर्शन खातिर भक्तगणन में, होला मारा-मारी।
तन प गेरूआ बस्तर अरुरी, मन में शम्भू दानी।
बम-बम शिव के नारा खाली, मुख से निकले बानी।
कान्हे पर काँवर शोभे ला, माथे चंदन टीका-
शंकर की महिमा के सबके, मुख पर हवे कहानी।
केहू अवघड़ दानी बोले, अउर अनघ त्रिपुरारी।
दर्शन खातिर भक्तगणन में, होला मारा-मारी।
भोले की सर पर शोभे ला, गंगा जी के पानी।
दायें शिव की सदा विराजे, माता गउरा रानी।
मृगछाला के आसन लागे, बसहा बैल सवारी-
हाथे में त्रिशूल डमरूआ, बाबा हउअन दानी।
भूत पिशाच प्रेत गण योगी, बाबा के दरबारी।
दर्शन खातिर भक्तगणन में, होला मारा-मारी।
गर्दन में साँपन के माला, आसन में मृगछाला।
पियें हलाहल दुनिया खातिर, शिव शम्भू मतवाला।
मेवा से परहेज करेलन, भाँग धतूरा खालन-
भक्तन के कल्याण करेलन, बम भोले रखवाला।
शिव के रँग में सभे रँगाइल, सावन में नर नारी।
दर्शन खातिर भक्तगणन में, होला मारा-मारी।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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