*”शिव अर्चना”*
“शिव अर्चना”
नीलकंठ महादेव,
माथे पे त्रिपुंड सोहे,
शीश गंगा ,धरे चंदा
भस्मी लगायें हैं।
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भोला संग गौरा रानी,
दूल्हा बने शिव जी,
सखियों संग खुशियाँ,
विदा बेला आई है।
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धुनी रमाये शिवजी,
बैठे अंतर्ध्यान से,
मन डगमगा रहा,
कौन चला बाण है।
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अर्धनारीश्वर रूप,
ध्यान धरो शंकर,
दर्शन दो भोलेनाथ,
त्रिलोकी कहाये है।
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ॐ नमः शिवाय शिव शम्भू