शिवभाव
शिवभाव
मनहरण घनाक्षरी
आत्म रूप शिव जान
अर्थ होता है कल्याण
शरीर नंदी समान
शिव वाहन जानिए।
पवित्रता रख ध्यान
आचरण से महान
शिव की सवारी जान
साधना तो चाहिए।
कछुआ का अनुमान
मन सम होता मान
शिव ओर कर ध्यान
सरकना चाहिए।
गणेश व हनुमान
द्वारपाल बलवान
बुद्धि व साहस मान
प्रमाणिक चाहिए।
आत्मलिंग भगवान
कर्म देते पहचान
शिवभाव ही प्रधान
विश्वाकार जानिए ।
कालातीत महाकाल
गले पड़ी मुंड़ माल
भृकुटी हैं बिकराल
विश्वहित जानिए।
त्रिनेत्र त्रिशूल भाल
नीलकंठ नेत्र लाल
अधर्म अन्याय चाल
नियंत्रक जानिए।
डमरू निनाद द्वार
जटा स्थित गंगधार
त्रिलोक त्रिकाल भार
मंगलम मानिए।
(राजेश कुमार कौरव सुमित्र)