शिक्षक
?शिक्षक ?
शिक्षक बच्चों के पथ प्रदर्शक होते,
सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाते
उज्ज्वल भविष्य की कामना करते,
मानव को अज्ञान से ज्ञान का बोध कराते।
शिक्षक हमें आकार हे देता, और हमारे अवगुण हर लेता,
गुरू बिना अंधियारा जीवन
जीवन ज्योति जलाते गुरूवर
विद्या का प्रकाश फैलाकर
ज्ञान का भरते भण्डार
शिष्य का करें जीवन साकार,
गढ़ के शिष्य को, गुरू ही देते आकार,
विवेकानंद, प्रेम चन्द्र,मीरा,कबीर ने,
समझा गुरू महत्ता को,
सफल जीवन का श्रेय दिया गुरूवर को
तरास के गुरूदेव ने,हीरा उसे बनाया,
शिक्षक ज्ञान का मूल्य,शिष्य कभी नहीं चुकाया,
जैसे माँ बिना,संसार अधूरा
वैसे ही गुरू बिना, जीवन अधूरा
जीवन में गुरू ज्ञान मिल जाये,
तो जीवन सफल हो जाये,
पथ में कई बाधायें भी आयें,
वो भी दूर हो जायें।
गुरूवर ही कष्ट हरे ,बाधा हरे,
पथ का अंधियारा दूर कर,
दिव्य ज्योति भरे।
प्रथम पाठशाला माता पिता,
गुरु जीवन की राह दिखाता,
हम बंदन बारम्बार करते,
शत ,शत शीश झुकाते,
गुरूवर के चरणों में।