शिक्षक संकल्प
शिक्षक दिवस दिया है हमको,
उनको शत शत कोटि प्रणाम ।
वरन शिक्षक कि मिट जाति,
पूछ परख सिर्फ बचता नाम।
शिक्षक भी गौरव को भूला,
किया कलंकित अपना काम।
दुराचार,दुष्कर्म ,दुष्टता,
अखबारों में छपना आम।
शिक्षक कर्म की महिमा,
छुपी नहीं कभी समाज में ।
जीवन खपा देता है सारा,
समाज के उत्थान में ।
माना आज नहीं गुरूकुल,
न है शिक्षा निज हाथ में।
फिर भी दीपक बन जलता,
ग्यान के विस्तार में।
नैतिक मूल्यहीन शिक्षा से,
शिक्षक का सम्मान कमा है।
पर शासन व समाज दोनो,
शिक्षक पर ही दोष मडा है।
शिक्षकीय कर्म की है परीक्षा,
अनजानी सबकी चाहत है।
साक्षरता ही उद्देश्य नहीं,
राष्ट्भक्ति भाव आवश्यक हैं।
शिक्षक दिवस पर संकल्प करें,
खोई गरिमा पुन: पाना है।
कर्म व्यवहार श्रेष्टता के बल,
आतंक उग्रवाद मिटाना है।
राजेश़ कौरब ” सुमित्र ”
बारहाबड़ा