“ शाश्वत मित्रता “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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होश नहीं किसी को हैं यहाँ पर ,
किसी को किसी की परवाह नहीं !
सब कोई अपने धून पर नाचे ,
किसी को किसी से चाह नहीं !!
मेरे तो फेसबुक के पन्नों में ,
हजार हस्तियाँ यूँ जुड़ने लगीं !
पक्षियों ने अपने पंख फैलाए ,
दसों दिशाओं में यूँ उड़ने लगीं !!
जिसे मैं जानता हूँ पहले से ,
उन्हीं से खुलके बातें होती हैं !
मेरी हर बातों को समझ कर ,
उनकी तब प्रतिक्रिया बनती हैं !!
अब मित्र बनना आसान हुआ ,
पर शीशे की तरह ये होते हैं !
मतभेदों से ही धूमिल होता है ,
गिरकर चकनाचूर हो जाते हैं !!
जो संवादों से दूर ही रहता है ,
जो प्रतिक्रिया से कतराता है !
जो परिभाषा ना समझा सका ,
वो शाश्वत नहीं रह पाता है !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
27.02.2022.