शालीनता (वर्ण पिरामिड, कविता)
ये
पप्पू
क्या किया
सारा देश
शर्मशार है
मुखिया बनना
रहा न आसान है।
तू
कब
समझा
तेरे लिए
मां कुर्बान
तेरी खातिर
सहती रहती
वरन् जाती ईरान।
ओ
मेरे
सपूत
हरकत
न करना
बहकावे में
राह न छोड़
किसी के भी गले
सोच कर लगना।
ऐ
वर्ष
चुनावी
माहोल का
शालीनता से
चाल चलन की
गम्भीरता रखना
(राजेश कौरव”सुमित्र”)