शायरी
नमाज़े इश्क की सदा क़ज़ा करते रहे हम
ख्वाबो में ख़ुदाए इश्क को मांगते रहे हम
है दफ़न मुझमे मेरी कितनी रौनके मत पूछ,
उजड़ उजड़ कर जो बसता रहा वो शहर हूँ मै
®आकिब जावेद
नमाज़े इश्क की सदा क़ज़ा करते रहे हम
ख्वाबो में ख़ुदाए इश्क को मांगते रहे हम
है दफ़न मुझमे मेरी कितनी रौनके मत पूछ,
उजड़ उजड़ कर जो बसता रहा वो शहर हूँ मै
®आकिब जावेद