शाम आखिरी हो |
मत रूठा करो मुझसे यूं तुम
क्या पता मेरे होठों पे ये तुम्हारा नाम आखिरी हो |
यूं तो हजारों लोग मिलते हैं मील के पत्थरों की तरह
क्या पता तू मेरी जिन्दगी का मुकाम आखिरी हो |
रो रो के कुछ पल और मागोंगी खुदा से
क्या पता मेरा ये पैगाम आखिरी हो |
सीने से लगा लो मुझे
क्या पता तेरा मुझपे ये एहसान आखिरी हो |
बात करती रहो मुझसे
क्या पता ये शाम आखिरी हो ||