#शादी का लड्डू?
?? शादी का लड्डू ??
✏विधा – मनहरण घनाक्षरी
✏विधान – ८८८७
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घर को बनाया रण-
भूमि बनी फिरै शूल
खींच रखै पाला नित, तीर बरसाये जी।
सदा “मन की ही बात”,
कभी घूंसा कभी लात
हर वक्त तानाशाही, अपनी चलाये जी।
‘तेज’ शमशीर-सी ही,
वार को तैयार रहै
केहि विधि पार इस, सूरमा से पाये जी।
तनातनी अनबन,
दुखता है तन-मन
“शादी का ये लड्डू” खाके, हम पछताये जी।
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सिंहनी की जात यह
एकली न आफत है
नित आग में घी डाल
रही ससुराल है।
साले-साली राहू-केतु
सास यमराज बनी
ससुरा है शनिदेव
कुण्डली में काल है।
शनि की है साढ़ेसाती
काल-योग जीवन में
“शादी वाला लड्डू” इस
जग में बवाल है।
उजड़े चमन में जो
खड़ा-खड़ा कांपे डूंठ
‘तेज’ यही घर में तो
हुआ तेरा हाल है।
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?तेज✏मथुरा