शहीद -ए -आजम भगत सिंह
शहीद -ए- आजम ( भगत सिंह )
क्रांति का दूसरा नाम भगत सिंह ।
धङके जो सीने मे आग धङक सिंह ।
याद करो उन हीरो को जिसने हीरा दिलाया
आंधी -तूफानी से न डरकर आजादी को संजोया ।
बात कर रहा उस वीर की जिसने खेतो मे बंदूक बोया ।
सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु के याद मे मै तो खोया ।
कभी मेरे मन मे ये ख्याल आता है ।
जो आंखो मे आंसुओ की बूंद बनकर निकल आता है ।
भगत सिंह का जीवन हमे बहुत ही लुभाता है ।
जन्म हुआ 1907 पंजाब के अमृतसर ।
वीर होनहार के होत चिकने पात ।
पूत के पांव पालने मे ही दिखने लगते है ।
कि मंजिल किधर को है क्या है उसकी डगर ।
पूरा देश था गोरे की गुलामी का शिकार ।
हुआ था अमृतसर मे जब जलियांवाला काण्ड ।
अभी थी इस बालक की उम्र केवल बारह साल ।
अंग्रेजो की शामत लेकर आया था ।
अपने देश का बहादुर लाल ।
देश की सुरक्षा देश का ढाल ।
देशभक्ति का पारा था प्रचण्ड विशाल ।
शादी कर लो अब बेटा तुम ।
मां ने जताया ये फरमान ।
आजादी ही अब बनेगी मेरी दुल्हन ।
सुन लो मां तुम ये फरियाद ।
रोम -रोम मे उठ रहा जैसे अब तो इंकलाब ।
साइमन कमीशन के विरोध मे ।
हाथ उठाया लाललाजपत राय ने ।
साइमन कमीशन वापस जाओ से ।
विरोध अपना जताया था ।
साण्डर्स ने इसका विरोध करने पर ।
पंजाब पर लाठी बरसाया था ।
लाठी प्रहार से लाला को किया आहत था ।
डण्डे के डंक चोट से उन्होने चिल्लाया था ।
मेरे तन पर पड़ी एक -एक लाठी ।
अंग्रेजो के ताबूत मे कील साबित होगी ।
अगले दूसरे दिन ही मर गए वो ।
अपनी चाह बता दी थी ।
माथा टनक गया इस घटना के सांए से ।
आग उबल रहा था उनका रक्त ।
थे जो भगत सिंह, राजगुरु, बटुकेशवर दत्त ।
17 अक्टूबर 1928 का वो दिन था ।
साण्डर्स को पकड़कर गोली से दिया दाग ।
कैसे मारे थे तुम काका को ।
पंजाब केसरी को याद किया ।
अंग्रेजो की विधानमंडल मे ।
लाहौर मे जब हो रही थी चर्चा ।
बहरो को सुनने के लिए ।
बम की आवश्यकता पङती है ।
लिख कर फेंका था ये पर्चा ।
इतिहास मे सबसे रोमांचकारी है ।
भगत सिंह का सिक्का ।
पकड़ लिए गोरे उनको ।
डाल दिए कारागार मे ।
इंकलाब जिंदाबाद का नारा ।
सबने खूब उच्चारा ।
था गवर्नर जनरल तत्कालीन इरविन ।
गांधी से यह कहलवाया था ।
आप कहे तो माफ मै कर दूं ।
भगत सिंह की फांसी टलवा दूं ।
पर गांधी ने इस पर न सहमति जतलाया था ।
पता न बापू ने ।
अपनी गर्दन क्यो ने हिलाया था ।
क्या पूरा आजादी का श्रेय ।
खुद लेना चाहते थे गांधी ही ।
भगत, सुखदेव, राजगुरु ।
को फांसी इसलिए सुनाया था ।
नेशनल असेंबली मे बम क्यो गिराया था ।
फांसी की सजा सुना दिए न्यायाधीश जी .सी हिल्टन ।
फांसी उनको होनी थी ।
24 मार्च 1931 के दिन ।
बढती लोकप्रियता को देखकर इनके ।
अंग्रेज भी घबराए थे ।
अतः एक दिन पहले ही उनको फांसी लगाया था ।
23 मार्च 1931 के दिन को ।
स्वर्णिम बनाया था ।
भगत सिंह के शव को लोगो ने ।
दो बार जलाया था ।
व्यास नदी के संगम पर चिता सजाया था ।
भगत सिंह को फांसी लगवाकर ।
शहीद -ए-आजम की उपाधि से क्यो नवाजा था ।
गोली मार कर हमे मौत दो ।
भगत ने ये अंतिम इच्छा जताया था ।
आजादी के हे ! परवाने ।
भगत ,सुखदेव,राजगुरु को माने ।
चढ गए हँसते-हँसते फांसी पर ।
शहीद मे नाम लिखाया था ।
अपने देश की रक्षा मे ।
ऐसे ही सब मर मिटो ।
अपने मातृभूमि की सेवा मे ।
हमने अपना फर्ज निभाया है ।
मर कर भी अमरता की ज्योति फैलाया है ।
नमन सभी शहीद को इस शहीद दिवस के वार को ।
दुश्मन अगर भारत माता की दामन पर हाथ लगाया ।
तो रख दूंगा चीर -फाङ कर ।